एक अधपका सा सपना
एक अधपका सा सपना है ये
स्वाद आता भी है और नहीं भी
मेहनत का सारा अनाज तो उबला है
पर किस्मत का नमक थोड़ा हल्का है
लगन की आँच शायद मध्यम थी
या फिर जोश के मसाले की कमी है
गले के नीचे न उतरे, ऐसा भी नहीं है
पर उँगलियाँ चाट लूँ, ऐसा भी नहीं
क्या इसी अधपके सपने से पेट भर लूँ ?
या फिर से चढ़ाऊं हाँडी उम्मीदों की ?
एक बार फिर मेहनत का अनाज उबले
कटें कुछ अच्छे बुरे दिनों की सब्ज़ियाँ
आँच तेज़ हो लगन की इस बार
और मसाले जोश से भी जोशीले
ज़रा सी मेहर हो ऊपर वाले की
पड़ जाए किस्मत का नमक, अगर सही
फिर से पका लूँ उस सपने को
इस अधपके सपने में तो वो स्वाद नहीं
एक अधपका सा सपना है ये
स्वाद आता भी है, और नहीं भी
5 comments:
you ll definitely reach heights once again baby! :) love you..
can relate...very well written..
:) loved it !
अधपका सा सपना ही है जो आगे बढ़ने की हिम्मत दिखाता है |
कुछ अधपके सपनो के बल पर आगे के राह बुनो ||
:)
nicely said.
u awaken me.
Post a Comment