Thursday, May 26, 2011

Ek Adhpaka Sa Sapna

एक अधपका सा सपना 

एक अधपका सा सपना है ये 
स्वाद आता भी है और नहीं भी 

मेहनत का सारा अनाज तो उबला है
पर किस्मत का नमक थोड़ा हल्का है
लगन की आँच शायद मध्यम थी
या फिर जोश के मसाले की कमी है

गले के नीचे न उतरे, ऐसा भी नहीं है
पर उँगलियाँ चाट लूँ, ऐसा भी नहीं
क्या इसी अधपके सपने से पेट भर लूँ ?
या फिर से चढ़ाऊं हाँडी उम्मीदों की ?

एक बार फिर मेहनत का अनाज उबले
कटें कुछ अच्छे बुरे दिनों की सब्ज़ियाँ
आँच तेज़ हो लगन की इस बार
और मसाले जोश से भी जोशीले

ज़रा सी मेहर हो ऊपर वाले की
पड़ जाए किस्मत का नमक, अगर सही
फिर से पका लूँ उस सपने को
इस अधपके सपने में तो वो स्वाद नहीं

एक अधपका सा सपना है ये
स्वाद आता भी है, और नहीं भी






5 comments:

Sparkle said...

you ll definitely reach heights once again baby! :) love you..

Tulika Verma said...

can relate...very well written..

Dheeraj said...

:) loved it !

Bhawana Khater said...

अधपका सा सपना ही है जो आगे बढ़ने की हिम्मत दिखाता है |
कुछ अधपके सपनो के बल पर आगे के राह बुनो ||

:)

rishikesh kumar said...

nicely said.
u awaken me.