Sunday, May 12, 2013

maa, mujhe vaapas bula le

माँ, मुझे वापस बुला ले

जीवन की उलझन में डूबा
जीवन खोज रहा हूँ
बीच समन्दर निपट अकेला
गॊते लगा रहा हूँ

फिर से साहिल की मिट्टी का
मुझको तिलक लगा दे
माँ, मुझे वापस बुला ले

बचपन की अठखेलियाँ अब भी
मरी नहीं इस मन से
भीतर अब भी बच्चा ही हूँ
युवा हुआ बस तन  से

यौवन के इस तप्त डगर पर
अपना आँचल लहरा दे
माँ, मुझे वापस बुला ले

नही करूँगा कोई शरारत
बात सभी मानूँगा
तुझे तंग करने की
अब मैं कभी नहीं ठानूंगा

फिर से बना ले बच्चा मुझको
गोद में अपनी सुला ले

माँ, मुझे वापस बुला ले

1 comment:

Unknown said...

got all nostalgic when i was away for one year from home..