Friday, May 30, 2014

मोड़ तो आए बहुत

मोड़ तो आए बहुत
हर मोड़ पर मुड़ कर देखा
रास्ता बढ़ता ही जाता था
तेरा इंतज़ार
हर पल
करता ही जाता था

फिर चलते-चलते इक रोज़
थक गया मंज़िल की तलाश में
वहीं इक मोड़ पर तुम आए
कहा तुमने कि दे दूँ साथ अगले मोड़ तक
मैंने उठ कर देखा
अब रास्ते नहीं थे
न कोई मोड़ नज़र आया
न जाने कैसे
जो अब तक मोड़ था
इक राह का बस
तुम्हारे आ जाने से
मंज़िल बन गया।

4 comments:

pradeep said...

sir ji aap kamaal ka likhte ho

Madhav Sinha said...

आपकी तीन कवितायेँ पढ़ी. मेरे विचार में अच्छी कविता नहीं हैं ये. पर आपका राजनीति वाला लेख अच्छा लगा. अच्छी चीजें लिखते रहिये. धन्यवाद!!

Sparkle said...

Koun kehta hai ki yeh ek achi kavita nahi hai. Only people who have fallen in love can empathise with the state of poet's mind.

abbajacquot said...

Blackjack - Casino Roll
The objective 대전광역 출장샵 of Blackjack is to win, with 군포 출장샵 the 삼척 출장마사지 most cards of any game played. There 군포 출장마사지 are two possible outcomes: 골인 벳 먹튀 a winning hand, which is the